Khubsurti Ki Tareef Shayari - खूबसूरती की तारीफ शायरी

Khubsurti Ki Tareef Shayari

Khubsurti Ki Tareef Shayari | खूबसूरती की तारीफ शायरी

हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की, शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है, क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की…
पलकों को जब-जब आपने झुकाया है, बस एक ही ख्याल दिल में आया है, कि जिस खुदा ने तुम्हें बनाया है, तुम्हें धरती पर भेजकर वो कैसे जी पाया है…
तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो, जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो, किस लिए देखती हो आईना, तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो…
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हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का, कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो…
कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं, तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो ही संगीन हैं…
इस प्यार का अंदाज़ कुछ ऐसा है, क्या बताये ये राज़ कैसा है, कौन कहता है कि आप चाँद जैसे हो, सच तो ये है कि खुद चाँद आप जैसा है…
अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता, तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता, यह तो करिश्मा है मोहब्बत का, वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता…
कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा, ये दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा, लोग कहते है चाँद का टुकड़ा तुम्हें, पर मैं कहता हूँ चाँद भी टुकड़ा है तुम्हारा…
तुझे पलकों पे बिठाने को जी चाहता है तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है, खूबसूरती की इंतेहा हैं तू, तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है…
तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी, मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी…