चलो फिर से आज वो नजारा याद कर ले,
शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला वो याद कर ले,
जिसमे बहकर आजादी पहुंची थी किनारे पे,
देशभक्तों के खून की वो धरा याद कर ले…
ज़माने भर मे मिलते है आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों मे लिपट कर, सोने मे सिमटकर मरे है कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता…
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा,
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा…
इतनी सी बात हवाओ को बताए रखना,
रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने,
ऐसे तिरंगे को हमेशा अपने दिल में बसाए रखना…
राख का हर एक कण,
मेरी गर्मी से गतिमान है,
मैं एक ऐसा पागल हूं,
जो जेल में भी आजाद है…
23 March Bhagat Singh Shayari
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत,
मेरी मिट्टी से भी खुश्बू-ए-वतन आएगी…
इस कदर वाकिफ है मेरी कलम,
मेरे जज्बातों से,
अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं,
तो इंकलाब लिख जाता हूं…
वे मुझे मार सकते हैं,
लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते,
वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं,
मगर मेरी आत्मा को नहीं…
जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को,
फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को…
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा…