Rajasthani Shayari
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Rajasthani Shayari | राजस्थानी शायरी
जीमो बाजरे री रोटी और सांगरी रो साग, रंगीलो म्हारो राजस्थान बरसों सूं है हिवड़े हुं लाग…
मेहनत करके एक दिने इतो ऊंचो पहुचणो है, कि नीचू देखू तो धूझणी छूटने लागजे…
धोरा धरती म्हारी 40° तावड़े में पग जले, पण मिनख मजबूत लोंठा हजारों सालो सूं अठे ही पले…
चेतक पर चढ़ जिसने भाला से दुश्मन संघारे थे, मातृ भूमि के खातिर जंगल में कई साल गुजारे थे…
अरे सुन लो प्यारी मानो बात म्हारी, थोड़ा तन खिलखिला लो आ मिलन गी रुत है प्यारी…
कौन कहता हैं की औरत केवल रसोई में शोभा देती हैं, पधारो हमारे राजस्थान में, बाईसा तलवार से धड़ अलग करना भी बखुबी जानती है…
सुलग रही है रेत लगी है प्यास, कहीं मिल जाये ठंडी छाया बस यही है म्हारी आस…
बचाने री जरूत है आपा री मायड़ भाषा ने लोग रे माथे में जु री जगह अंग्रेजी गुस गी…
ऊंच नीच गो भेदभाव राखो कोनी सगलो गो देसा साथ, जे जरूरत पड़सी किसी के तो ऊबा हो ज्यासां भले ही हुवे आधी रात…
अंग्रेजी म्हाने आवे कोनी ना हिंदी रो ज्ञान, राजस्थान रा बांशिदा हो राजस्थानी म्हारी पहचान…