दि‍वाली पर कविता – Poem on Diwali in Hindi

Poem on Diwali in Hindi and दिवाली कविता with Diwali Kavita in Hindi to express your feelings on this upcoming Deepavali Festival. These Diwali Par Kavita are collected from around the web. Earlier we posted some best Bhai Dooj Kavita on our site.

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दि‍वाली पर कविता
Poem on Diwali in Hindi

(1)

दीपावली का त्योहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया…!!

दीपको की सजी है कतार,
जगमगा रहा है पूरा संसार,
अंधकार पर प्रकाश की विजय लाया,
दीपावली का त्योहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया…!!

बाजारों में रौनक छाई,
किसानों के मुंह पर खुशी की लाली आयी,
भाईचारे का संदेश लाया,
दीपावली का त्यौहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया…!!


(2)

आओ मिलकर दीप जलाएं,
रिश्तो की एक नई प्रीत जगाए,
आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं…!!

कर दो ऐसे जग सारा रोशन,
कहीं छूट न जाए कोई कोना अंधियारा,
भूल कर सब द्वेष भावना,
दोस्ती का नया दीप जलाएं,
आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं…!!

आओ सब मिलकर रूठो को मनाएं
मिठाईयां बांटकर प्यार की मिठास बढ़ाएं,
धनतेरस पर सब मिलकर बाजार जाए,
भाई दूज को भाई बहन का प्यार बढ़ाएं,
आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं…!!

आओ सब मिलकर उजियारे का दीप जलाएं,
अपने मन से क्रोध और इर्ष्या का भूत भगाए,
आओ सब मिलकर घर-घर जाए,
लेकर बड़ों का प्यार और आशीर्वाद आए,
आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं…!!
आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं…!!

Diwali Kavita

(3)

आओ मिलकर दीप जलाएं,
अँधेरा धरा से दूर भगाएं…!!

रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना,
सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना,
हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं,
आओ मिलकर दीप जलाएं…!!

हर दिन जीते अपने लिए,
कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखें,
हर दिन अपने लिए रोशनी तलाशें,
एक दिन दीप सा रोशन होकर देखें,
दीप सा हरदम उजियारा फैलाएं,
आओ मिलकर दीप जलाएं…!!

भेदभाव, ऊँच -नीच की दीवार ढहाकर,
आपस में सब मिलजुल पग बढायें,
पर सेवा का संकल्प लेकर मन में,
जहाँ से नफरत की दीवार ढहायें,
सर्वहित संकल्प का थाल सजाएँ,
आओ मिलकर दीप जलाएं,
अँधेरा धरा से दूर भगाएं…!!

आओ मिलकर दीप जलाएं,
अँधेरा धरा से दूर भगाएं…!!


(4)

आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से…

पाप का अँधेरा मिटे, और शान्ति का साम्राज्य हो,
बंद हो जाए लड़ाई मजहबों के नाम से,
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से…!!

दीपक जले फ़िर प्रेम का, सौहार्द की हो रोशनी,
चलने लगे फ़िर से ये दुनिया राम के आदर्श पे,
राम के आदर्श पे धरती बने फ़िर स्वर्ग सी,
ये दुनिया है तेरे ही एहसान से,
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से…!!

आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से…!!


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